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आज भी दुनिया में चल रहा है रेडियो का जादू (13 फ़रवरी : विश्व रेडियो दिवस पर विशेष) News Morning massage

 आज भी दुनिया में चल रहा है रेडियो का जादू (13 फ़रवरी : विश्व रेडियो दिवस पर विशेष) News Morning massage


चित्तौड़गढ़(स्पेशल रिपोर्ट)। रेडियो विश्व का सबसे सुलभ मीडिया है। दुनिया के किसी भी कोने में रेडियो सुना जा सकता है। वे लोग, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानते, रेडियो सुनकर सारी जानकारियाँ पा जाते हैं। आपातकालीन परिस्थितियों में रेडियो सम्पर्क-साधन की भूमिका भी निभाता है और लोगों को सावधान और सतर्क करता है। कोई भी प्राकृतिक आपदा आने पर बचाव-कार्यों के दौरान भी रेडियो महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 


विश्व रेडियो दिवस का इतिहास

इस अवसर पर रेडियो श्रोता व आकाशवाणी चित्तौड़गढ़ कलाकार अमित कुमार चेचानी ने बताया कि विश्व रेडियो दिवस 13 फ़रवरी को पूरे विश्व में मनाया जाता है। 

यूनिस्को ने मुताबिक आज भी रेडियो दुनिया भर में सबसे ज्यादा उपयोग मे लाया जाने वाला संचार माध्यम है, जबकि ऐसा लगता नहीं है।  यूनिस्को का तो यह भी कहना है कि अब भी दुनिया में रेडियो स्टेशनों को विविध समुदायों को अपने कार्यक्रमों, विचारों के जरिए सेवा देनी चाहिए।


विश्व रेडियो दिवस की थीम हर साल बदलती है, और 13वां विश्व रेडियो दिवस 13 फरवरी, 2024  का विषय "रेडियो: ए सेंचुरी इनफॉर्मिंग, एंटरटेनिंग, एंड एजुकेटिंग" है । यह पिछली सदी में रेडियो के समृद्ध इतिहास और स्थायी प्रभाव का जश्न मनाता है। यह दुनिया भर में दर्शकों को सूचित करने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने में रेडियो की भूमिका को मान्यता देता है। चूंकि रेडियो को डिजिटल प्लेटफॉर्म और अन्य कारकों से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए थीम इस माध्यम की निरंतर प्रासंगिकता और क्षमता पर जोर देती है।


चेचानी ने यह भी बताया कि आज देश दुनिया ने कितनी भी तरक्की कर ली हो, रेडियो  आज भी हमारी जिंदगी से गायब नहीं हुआ है। शायद यही वजह है कि 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस को किसी पुराने ऐतिहासिक दिन की तरह नहीं मनाया जाता है।  जब दुनिया में 70 और 80 के दशक में टेलीविजन फैलना शुरु हुआ तो आशंका जताई जा रही है कि रेडियो जिसे भारत में बहुत से लोग ट्रांजिस्टर भी कहते है,  खत्म हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आज  इस दिन को लोगों में रेडियो के प्रति जागरुकता फैलाने और उसके महत्व को बताने के लिए मनाया जाता है।   यह बात नई पीढ़ी को हैरान करने वाली लग सकती है टेलीविजन व मोबाईल के व्यापक होने के बाद भी रेडियो को आज भी उपयोगी माना जाता है। आज मोबाइल के डिजिटल माध्यम से स्मार्टफोन में भी देश विदेश के रेडियो न्यूज ऑन एयर व रेडियो गार्डन एप्प के माध्यम से सुन सकते हैं। 


रेडियो सुनने से लेकर रेडियो पर बोलने तक का सफर आज भी जारी है - रेडियो जॉकी अमित चेचानी


चेचान ने रेड़ियों से जुड़ी अपनी यादों को सांझा करते हुए बताया कि घर में रेडियो होने के कारण बचपन से ही रेडियो में बजने वाली  संकेत ध्वनि की मधुर धुन नींद से उठाती थी।  उस दौर में रेडियो मनोरंजन का सबसे महत्वपूर्ण साधन होता था जब पूरा मोहल्ला मिलकर रेडियो सुनता था।  जिस तरह  श्रोताओं को अपनी फरमाइश के गीत सुनने का इंतजार रहता था उसी तरह उनके द्वारा लिखे गए पत्र  को सुनने का भी इंतजार रहता था।  बिनाका गीतमाला  सुनने का तो ऐसे इंतजार करते थे जैसे कोई बड़ा समारोह हो रहा हो। उसमें प्रसिद्ध सूत्रधार अमीन सयानी जी का बोलने का लहजा आज भी दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है।  कौन सा गीत पायदान नंबर एक पर पर आएगा यह भी प्रतियोगिता बनी रहती थी।  बचपन से ही रेडियो सुनने का शौक इस कदर बढ़ता गया, कि आज हम भी रेडियो की आवाज बन गए और आज भी रेडियो सुनना हमारी दिनचर्या में शामिल है।  रेडियो श्रोता होने के कई फायदे जो हमारे जीवन में हमें सफलता दिलाते हैं जैसे रेडियो से मिलने वाली जानकारी सूचनाएं, समाचार, हमारे ज्ञान की जानकारी को बढ़ाते हैं। इसके अलावा मधुर संगीत हमारे जीवन सुकून प्रदान करता है और हमें तरोताजा बनाए रखता है। विभिन्न भाषाओं में होने वाले प्रसारण से हमें भाषा का ज्ञान भी होता है, उच्चारण का ज्ञान होता है और हमें लोगों से बातचीत करना सिखाता है। बचपन से रेडियो श्रोता होने का फायदा यही मिला कि मैंने इसी से जुड़े व्यवसाय जुड़े व्यवसाय को चुना। यानी  एंकरिंग और सिंगिंग।  


रेडियो के माध्यम अमित चेचानी ने बनायी पहचान

अमित कुमार चेचानी ने बताया कि वह अच्छे रेडियो श्रोता के साथ-साथ 1998 से आकाशवाणी चित्तौड़गढ़ 'मीरा चैनल' में कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी आवाज दे रहे हैं।  वर्तमान में आकाशवाणी चित्तौड़गढ़ में  किसानवाणी कार्यक्रम में अपनी आवाज से श्रोताओं से रूबरू होते हैं।  पिछले कुछ सालों में आकाशवाणी चित्तौड़गढ़ के लिए बनाई गई रेडियो रिपोर्ट जो चित्तौड़गढ़ के आसपास होने वाली साहित्यिक, सामाजिक व जनोंपयोगी गतिविधियों की रेडियो रिपोर्ट श्रोताओं बेहद पसंद आ रही है। इसके लिए चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन द्वारा 26 जनवरी 2022 को उन्हें चित्तौड़गढ़ जिले में होने वाली सांस्कृतिक, साहित्य गतिविधियों की रेडियो रिपोर्ट के उल्लेखनीय प्रसारण में सहयोग के लिए सम्मानित किया गया।  आकाशवाणी के कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं एवं बच्चों व युवाओं को रेडियो सुनने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। 

रेडियो सुनने के शौक और आकाशवाणी पर लगातार काम करने से उनकी बहुत पहचान बन चुकी है और वह  एक एंकर व सिंगर के रूप में अपने करिअर को बना चुके हैं। देश कई शहरों में वह अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं और हजारों लोगों के दिलों में जगह बना रखी है।


पैरा वॉलीबॉल टीम का सेम स्कूल नीम का थाना में किया स्वागत,


नीमकाथाना।

हनुमानगढ़ में आयोजित राज्य स्तरीय पैरा वालबॉल चैंपियनशिप में नीमकाथाना की टीम ने अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करके गोल्ड मेडल प्राप्त किया। सेम स्कूल नीमकाथाना के प्रधानाचार्य श्री वरुण प्रताप सिंह जी ने खिलाड़ियों का संस्था में माला पहनाकर खिलाड़ियों का स्वागत किया।  सिंह ने बताया कि नीमकाथाना जिले से पैरा वॉलीबॉल टीम ने पहली बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया है।


 सेम स्कूल नीमकाथाना के स्पोर्ट्स इंचार्ज हेमेश सेन ने बताया कि टीम कैप्टन दातार सिंह गुर्जर भारतीय टीम के कप्तान भी हैं साथ ही टीम को सेम स्कूल ने आर्थिक सहयोग  भी किया, इस सफलता के पीछे सेम स्कूल का बहुत बड़ा योगदान रहा।

गालव गौशाला में मनाया जन्मदिन और किया तुलादान


नीमकाथाना।

एक तरफ जहां लोग अपने बच्चों का जन्मदिन  घरों व रेस्टोरेंटों में मनाकर पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने में लगे हैं,  वहीं दूसरी ओर नीमकाथाना के समाजसेवी  मुकेश मित्तल पुत्र श्री शंकरलाल जी मित्तल (चीपलाटा वाले)  ने अपने सुपुत्र नवांश मित्तल  का जन्मदिन गणेश्वर गौशाला में मनाकर एक अनूठी मिसाल कायम की है। इस अवसर पर मित्तल परिवार ने गौशाला की वार्षिक सदस्यता ग्रहण की और तुलादान भी किया। 

 समाजसेवी मुकेश मित्तल ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ अब लोगों को भारतीय परंपराओं का निर्वहन करना चाहिए।  आज के दौर में लोग अपने जन्मदिन सहित अन्य खास अवसरों पर बड़ी-बड़ी पार्टियां कर फिजूलखर्च करते हैं।  फिजूलखर्चीं  करने के बजाए अपने जन्म दिवस पर गौसेवा कर उसे यादगार दिवस के रूप में मनाना चाहिए। ऐसे कार्य करने चाहिए जो जीव जंतुओं व पर्यावरण के लिए भी लाभकारी हो। 

उन्होंने कहा कि इस तरह के शुभ अवसरों पर सभी अपनी सादगी का परिचय दें ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को भी हमसे कुछ सीखने को मिले और वे समाज के लिए कुछ कर सके। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। इसलिए सभी को पहली रोटी गाय के लिए निकालनी चाहिए। मनुष्य अपना ही ख्याल न रखें बल्कि हमें प्रकृति व सभी जीव जंतुओं का भी ख्याल रखना चाहिए। 

गौशाला कार्यकर्ताओं ने मित्तल परिवार की प्रशंसा करते हुए  उनके संपूर्ण परिवार के सुखी जीवन की  ईश्वर से प्रार्थना की।

 इसे गो सेवा के लिए अनुकरणीय उदाहरण बताया और कहा कि सभी लोग ऐसा करने लग जाए तो गो संरक्षण को नया आयाम मिल सकता है।

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